Wednesday, November 14, 2018

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नीदरलैंड में ही प्लास्टिक से निपटने का एक और नुस्खा आज़माया जा रहा है. यहां प्लास्टिक से सड़कें बनाई जा रही हैं.
डच शहरों ज़्वोले में साइकिल चलाने के लिए प्लास्टिक से सड़कें बनाई जा रही हैं. इस सड़क बनाने में प्लास्टिक की बोतलों, कपों और पैकेजिंग के दूसरे सामान इस्तेमाल हो रहे हैं.
इस वक़्त सड़क को बनाने में लगे कुल सामान का 70 फ़ीसद हिस्सा प्लास्टिक है. लेकिन, आगे चल कर पूरी तरह प्लास्टिक से ही सड़कें बनाने का इरादा है.
इसे बनाने वाली कंपनी कहती है कि ये पूरी तरह से रिसाइकिल किया गया प्लास्टिक इस्तेमाल कर रही है. इसे बनाने में कम भारी मशीनों की ज़रूरत होती है. ईंधन भी कम ख़र्च होता है. यानी के पर्यावरण के लिए भी मुफ़ीद है.
अभी ज़्वोले शहर में प्लास्टिक से बनी पहली सड़क की लंबाई 30 मीटर है. इसमें 2 लाख 18 हज़ार प्लास्टिक के कपों और 5 लाख प्लास्टिक बोतलों का इस्तेमाल हुआ है. इसी महीने में प्लास्टिक से एक और सड़क बनाने की योजना है.
प्लास्टिक के ख़िलाफ़ जंग लड़ने के लिए इंजीनियर और डिज़ाइनर दूसरे तत्वों के विकल्प आज़मा रहे हैं, जिनमें खाने-पीने के सामान को पैक किया जा सके.
ऐसे बायोप्लास्टिक को फिर से इस्तेमाल हो सकने वाली क़ुदरती चीज़ों से बनाया जा रहा है. जैसे कि वनस्पति तेल, कसावा स्टार्च और लकड़ियों की छाल.
इंडोनेशिया की कंपनी इवोवेयर पैकेजिंग का सामान समुद्री खरपतवार से बना रही है. ये कंपनी स्थानीय समुद्री खरपतवार उगाने वाले किसानों के साथ मिलकर ऐसी पैकेजिंग तैयार करती है, जिसमें बर्गर और सैंडविच पैक हो सकें.
कॉफ़ी में मिलाने वाले पाउडर की पैकिंग की जा सके. इस खरपतवार से बने पैकेट को गर्म पानी में घोला जा सकता है. अब इस पैकेजिंग का इस्तेमाल साबुन पैक करने में भी हो रहा है.
कंपनी का दावा है कि ये पूरी तरह से कचरा मुक्त विकल्प है. पैकेजिंग को भी लोग खा सकते हैं. ये पोषक भी है और पर्यावरण के लिए मुफ़ीद भी.
प्लास्टिक से समुद्रों को भारी नुक़सान हो रहा है. कहा जा रहा है कि 2050 तक समुद्र में मछलियों से ज़्यादा प्लास्टिक होगा.
इस कचरे को समुद्र में जमा होने से रोकने के लिए जो एक नुस्खा आज़माया जा रहा है, वो है प्लास्टिक बैंक का.
इस कंपनी के लोग ज़्यादा पैसे देकर जनता से इस्तेमाल हुआ प्लास्टिक ख़रीदते हैं. सके बदले में पैसे के अलावा रोज़मर्रा के सामान जैसे ईंधन, चूल्हे या दूसरी तरह की सेवाएं देते हैं.
इस प्रोजेक्ट से लोगों को समुद्र में जा रहे प्लास्टिक को रोकने का बढ़ावा मिलता है. लोगों की आमदनी भी हो जाती है. सड़कें साफ़ होती हैं.
प्लास्टिक बैंक का मक़सद प्लास्टिक को इतना क़ीमती बना देना है कि लोग इसे फेंकने से बचें.
इस जमा किए गए प्लास्टिक को कंपनी बड़े कारोबारियों को बेच देती है, जो इसकी तीन गुनी तक क़ीमत अदा करते हैं.
प्लास्टिक बैंक फिलहाल हैती, ब्राज़ील और फिलीपींस में काम कर रहा है.
जल्द ही ये भारत, दक्षिण अफ्रीका, पनामा और वेटिकन में भी सेवाएं शुरू करने वाला है.